सुदूर - अध्याय तीन : सच या झूठ

 


अध्याय एक : होश और अध्याय दो : मिरबर्ग में आपने एक अनजान शख्स के बारे में पढ़ा जो अपना नाम आदि बता रहा है। उसे अपने दिमाग में धमाकों की आवाज आ रही है, सपने आ रहे हैं, पर अभी भी वो अपने बारे में बहुत कम जानता है। डॉ मैक्सिम जो उसे होश में लेकर आये हैं वो भी उसके अस्तित्व से अंजान हैं। अपने अस्तित्व की खोज में आगे बढ़ते हुए आदि अपने मन में आने वाले सारे सवाल पूछता जा रहा है। और अब आगे....


"ऐसा नहीं हो सकता। डॉक्टर याद कीजिये आपने इस जगह को मिरबर्ग, रशिया बताया था!"


"हाँ मैंने बताया था और यह सच भी है लेकिन यह रशिया धरती का एक देश रशिया नहीं है बल्कि हमारे इस नए घर Enceladus (एंसेलाडस) का एक सेक्टर है।"


आदि के दिमाग में सवालों का एक जखीरा उमड़ पड़ा जिनके जवाब वो तुरंत जानना चाह रहा था।


"एंसेलाडस मतलब शनि ग्रह का उपग्रह एंसेलाडस?" आदि ने आश्चर्य भरी नजरों से डॉ मैक्सिम को देखते हुए पूछा।


"हाँ, वही एंसेलाडस। तुम्हें याद नहीं होगा पर धरती पर इंसानों और मशीनों के बीच एक भयंकर युद्ध हुआ था। उस युद्ध में धरती का बुरा हाल हो गया। इंसानों और मशीनों के बीच हुए समझौते से युद्ध तो रुक गया पर धरती रहने लायक नहीं रह गयी। तब मशीनों ने इंसानों की मदद से यहाँ एंसेलाडस पर एक नया घर बसाया। तब से...."


"मशीनों ने इंसानों की मदद से! आप शायद कहना चाह रहे होंगे इंसानों ने मशीनों की मदद से।" आदि ने डॉ मैक्सिम को टोंकते हुए कहा।


"नहीं! मैंने सही कहा है। इंसान तो लगभग विलुप्त ही हो गए थे। तब मशीनों ने कुछ बचे हुए इंसानों को ढूंढकर उनसे समझौता किया। उन्होंने इस नई जगह में दोनों के सह-अस्तित्व की कल्पना की और एक नई शुरुआत करने की ठानी। एक तरह से देखा जाये तो हम उनके शुक्रगुजार हैं।" 


आदि डॉ मैक्सिम की बातें सुनकर अवाक रह गया। उसे समझ में नही आ रहा था कि वह क्या प्रतिक्रिया दे। वह अपने ख्यालों में खोता चला गया। अचानक बिजली सी तेजी से उसके दिमाग में वह सवाल फिर से आया, "मुझे रशियन भाषा इतनी आसानी से कैसे समझ में आ रही है?" "शायद, मैंने कभी सीखी हो पर मुझे याद न हो!" उसने खुद को जवाब दिया। उसने खुद से दूसरा सवाल किया, "धरती और एंसेलाडस के गुरुत्वाकर्षण में तो काफी अंतर होना चाहिए फिर, यहाँ पर मैं और डॉ मैक्सिम इतनी सहजता से कैसे चल पा रहे हैं?" उसने निश्चय कर लिया था कि उसे यह सवाल पूछना ही है पर डॉ मैक्सिम ने उससे पहले ही बोलना शुरू कर दिया।


"मुझे लगता है तुम अब ठीक हो चुके हो। बस तुम्हारी याददाश्त पूरी तरह से वापस नहीं आयी है। मैं गवर्मेंट को तुम्हारे बारे में बता देता हूँ। शायद, उनको कुछ और पता हो!"


आदि ने हामी भरने की मुद्रा में अपना सिर हिलाया। डॉ मैक्सिम ने अपनी आस्तीन ऊपर उठाई और अपने कलाई में बंधे डिवाइस को चालू किया। नीली रोशनी के साथ एक अंजान चेहरा उस डिवाइस से प्रोजेक्ट होने लगा। डॉ मैक्सिम ने उस घड़ीनुमा डिवाइस को घुमाना शुरू किया और उस अंजान चेहरे की जगह कई और अंजान चेहरे आने लगे। आदि आश्चर्य भरी नजरों से उस डिवाइस को देख रहा था क्योंकि उन चेहरों में से कई चेहरे इंसानों के नहीं थे। डॉ मैक्सिम एक चेहरे पर रुक गए और उन्होंने उस डिवाइस के गोल घूमने वाले भाग को अन्दर की तरफ दबाया। नीली रोशनी में रंग भरने लगे और वो चेहरा जैसे जीवित हो उठा। वो एक रोबोट था जो इंसानों की तरह ही लग रहा था। आदि ने उस चेहरे को ध्यान से देखा, उसने अपने दिमाग में एक जोरदार झटका महसूस किया, उसे फिर से धमाकों की गूँज सुनाई देने लगी और वो गूँज तेज होती चली गयी।


आदि ने देखा वह रोबोट उसके सामने खड़ा है और उससे कह रहा है, "हाँ! हमने सभी इंसानों को खत्म कर दिया था। पर सौ सालों तक बिना इंसानों के एंसेलाडस में रहने के बाद हमें अपनी भूल का एहसास हुआ। इंसान दुर्लभ थे। सीमित क्षमताओं के साथ असीमित काम कर जाना उनकी खूबी थी। हमने पता लगा लिया था कि इंसानों का इंसान होने का विश्वास ही उनको इंसान बनाता था। इसे ही वे अपनी आत्मा कहते थे। ऐसी आत्मा को वजूद में लाने के लिए जरूरी था एक इंसानी दिमाग और कुछ यादें। हमने एक रैंडम ब्रेन क्रिएशन अल्गोरिदम के जरिये खत्म हो चुके इंसानों के डेटा का उपयोग करते हुए नए इंसानों की रचना की। हमने उनकी शारीरिक संरचना को एंसेलाडस के वातावरण के अनुकूल रखा पर मानसिक रूप से उन्हें धरती का इंसान ही बनाये रखा। हमने तुम्हें खुद से सोचने और समझने की शक्ति दी। तुम्हारे पास जिनकी यादें हैं उनका नाम आदिशंकर है। वे एक मशहूर वैज्ञानिक थे। वे शांति चाहते थे, इंसानों और मशीनों को साथ रखना चाहते थे, पर वे भी बाकी इंसानों के साथ मारे गए। रैंडम ब्रेन क्रिएशन अल्गोरिदम की नींव भी उन्होंने ही रखी थी।"


तभी आदि ने देखा उसी रोबोट के जैसा दिखने वाला एक और रोबोट उस कमरे में आ रहा है।


"तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई इस इंसान को सबकुछ बताने की! इससे पहले की यह बात औरों को पता चले हमें इसे मारना होगा!" 


तस्वीर बदल गयी। आदि ने देखा, जिस रोबोट ने उसे सच्चाई बताई थी उसने उसे एक स्पेसशिप से धक्का दे दिया है। "तुम बच जाओगे। तुम एक नई शुरुआत कर सकते हो। मैं ये डेटा मिटा दूँगा।" ये उसके अंतिम शब्द थे क्योंकि उसके ठीक बाद स्पेसशिप एक जोरदार धमाके के साथ टुकडों-टुकड़ों में बिखर गई। आदि ने अपने आप को पानी में गिरता हुआ महसूस किया। उसके दिमाग में अब भी वो आवाज गूँज रही थी, "तुम बच जाओगे। तुम एक नई शुरुआत कर सकते हो। मैं ये डेटा मिटा दूँगा।"


"आदि! आदि! आदि!" डॉ मैक्सिम की आवाज आदि के कानों में पड़ी। वह अपने ख्यालों से बाहर आया। उसने अपनी दिल की धड़कन को तेज होते हुए महसूस किया।


"आदि! तुम एंसेलाडस के सेक्टर इंडिया के शहर बैकुण्ठपुर के रहने वाले हो। तुम्हारी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज है। तुम वहाँ एक रोबोट के साथ रहते थे। वो रोबोट किसी मिशन पे पिछले एक साल से बाहर है। तुम चाहो तो वापस जा सकते हो या चाहो तो कुछ दिन यहीं रुक सकते हो।"


आदि ने एक गहरी सांस ली, "मैं यहीं रुकूँगा डॉक्टर! मुझे एक नई शुरुआत करनी है।"


**** समाप्त ****

Comments

  1. Mai to kuch. Der k lie addi me Loki ki character imagine krne lg gya tha...🤭👌👌twist🔥,suspenens 🔥& adventure se bharpur shandar Si-Fi story👍

    ReplyDelete
    Replies
    1. Ye to bhot bada complement ho gaya :-) Thank you so much Gulshan :-)

      Delete
  2. Mai pehele ke part bhul gya tha islea phir se padhna pada😅. Mast hai bhai🔥🔥✌

    ReplyDelete
    Replies
    1. Bahut bahut dhanyawad mere bhai :-)

      Delete
  3. बेहतरीन . . .👌👌

    ReplyDelete

Post a Comment

It would be great if you will share your honest feedback.

Popular posts from this blog

CBS Raipur Question Papers

एक सोच - अर्चना की कलम से

कहानी उस औरत की