सुदूर - अध्याय एक : होश
उसने आंखें खोली। उसके सामने एक इंसान खड़ा था जो देखने में बिल्कुल हिंदुस्तानी लग रहा था। उसने गौर किया उसके अंडाकार चेहरे पर उसकी फ्रेंच दाढ़ी जँच रही थी। उसने पारदर्शी आयताकार चश्में भी पहन रखे थे। जो कि काफी स्टाइलिश लग रहे थे। कपड़े भी उसने किसी हिंदुस्तानी डॉक्टर की तरह ही पहने हुए थे पर उसकी दायीं छाती पर एक नेमटैग लगा हुआ था जिसमें रशियन में максим ( मैक्सिम ) लिखा हुआ था।
"कहाँ हूँ मैं? कौन हो तुम?" उसने पूछा।
"Я доктор Я встретил тебя на берегу моря Твое дыхание покидало тебя, но я был уверен, что спасу тебя. И смотрите, через год вы полностью выздоровели."
( "मैं एक डॉक्टर हूँ। मुझे तुम समुद्र किनारे जख्मी हालत में मिले थे। तुम्हारी सांसें तुम्हारा साथ छोड़ रही थी पर मुझे यकीन था कि मैं तुम्हें बचा लूँगा। और देखो पूरे एक साल बाद तुम पूरी तरह से ठीक हो चुके हो।" )
उसने ये तो सोच लिया कि डॉक्टर उसकी भाषा शायद इसलिये समझ पा रहा था क्योंकि वो हिंदुस्तानी हो सकता था पर उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि उसे रशियन भाषा इतने अच्छे से कैसे समझ में आ रही थी। फिर भी उसने यह बात नहीं पूछी। उसने इससे भी ज्यादा जरूरी सवाल के साथ बातचीत को जारी रखा, "क्या! एक साल से मैं यहीं था? क्या हुआ था मुझे?"
"हाँ, तुम पूरे एक साल तक कोमा में थे। पर तुम्हारे साथ हुआ क्या था यह मैं भी नहीं जानता? मुझे उम्मीद थी कि तुम मुझे बताओगे कि तुम्हारे साथ क्या हुआ था। वैसे तुम्हारा नाम क्या है?"
"मुझे याद नहीं है! मुझे कुछ भी याद नहीं है!"
"तुम्हारे सिर में भी बहुत गहरी चोटें थी। हो सकता है उसकी वजह से तुम सबकुछ भूल गये होगे। पर जल्द ही तुम पूरी तरह ठीक हो जाओगे और तुम्हें सबकुछ याद आ जायेगा। मैंने अभी तक गवर्मेंट को तुम्हारे बारे में नहीं बताया है। तुम्हारे ठीक होते ही मुझे तुम्हारे बारे में गवर्मेंट को बताना पड़ेगा।"
डॉक्टर ने आगे जोड़ते हुए कहा, "हमारे यहाँ तो पिछले 50 सालों से किसी भी तरह की लड़ाई नहीं हुई है। तुम्हारा यह हाल जिसने भी किया है, गवमेंट को उसकी जानकारी देनी होगी। वैसे तुम्हें कुछ भी याद आ रहा हो तो तुम मुझे बता सकते हो।"
"डॉक्टर, मैंने बताया न मुझे कुछ भी याद नहीं।" उसने झूठ कहा था क्योंकि, उसे उसके कानों में एक धमाके की गूँज सुनाई दे रही थी और उसे अपने आंखों के सामने दूर-दूर तक आग-ही-आग नजर आ रही थी।
खैर! उसने सवाल पूछना जारी रखा, "डॉक्टर, आपने कहा पिछले पचास सालों से कोई लड़ाई नहीं हुई है! कौन सी जगह है ये?"
"तुम मिरबर्ग, रशिया में हो।"
वो अगला सवाल पूछने ही वाला था पर उसके दिमाग में होने वाली धमाके की गूँज इतनी तेज हो गयी कि उसे कुछ भी सुनाई देना बन्द हो गया। उसकी आंखें भी धीरे-धीरे बन्द होने लगीं और अब चारो तरफ अंधेरा था।
....कहानी जारी रहेगी अध्याय दो : मिरबर्ग में....
Suspense... Sahi h
ReplyDeleteYaass 👽 Thnkuusm Brother 😊
DeleteWaiting for part-2😃
ReplyDeleteThnkuu so much 😊 Ur waiting will end soon 👽
Deletesci-fi ke sath thriler dhamaka
ReplyDeleteAb dekhte hai aane wale samay m raaz khulte hain ya aur ghre hote hain 👽
DeleteYoo bro!!! Ab suspense ki bari....shi h2
ReplyDeleteI'm glad u like it 😊 Tqsm 🙏🏻🙃
DeleteThnkuusm 🙏🏻😊
ReplyDeleteNice prank 😅😅
ReplyDeleteMarvelous . . . . .👍👍👌👌👌
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