लड़कियों की जेठालाल
वह खुद को लड़कियों की जेठालाल कहती है। और कहे भी क्यूँ न ! उसका मोहल्ला तारक मेहता का उल्टा चश्मा के गोकुलधाम से कम थोड़ी न है। उसके घर में चार लोग रहते हैं। उसके मम्मी-पापा, उसका भाई और वो खुद। उसको पबजी खेलने का बड़ा शौक है। हालाँकि उसे घर में डाँट न पड़े इसलिये उसने दिन में बस दो घण्टे पबजी खेलने का निश्चय किया है। पर कोई पबजी खेले और डाँट न खाये, ये कैसे हो सकता है? यही कारण है कि वो पबजी दो घण्टे खेलती है लेकिन डाँट, डाँट वो तीन घण्टे सुनती है। हाँ, मम्मी से ही डाँट खाती है क्योंकि, लड़कियाँ तो पापा की परी होती हैं न। अब उसकी मम्मी का ज़िक्र आ ही गया है तो थोड़ी और बात कर लेते हैं। उसका कहना है कि उसके घर में और मोहल्ले में बड़ा ही मज़ाकिया माहौल रहता है। जब कभी वह कहीं बाहर जाते रहती है और अपनी मम्मी से सौ रुपये माँगती है तो उसकी मम्मी अक्सर उसे पचास रुपये ही देती हैं। और बाकी के पैसे मांगने पर वो चेहरे पर बड़ी ही प्यारी सी मुस्कुराहट लिये हुए कहती हैं, "और पैसे तो हैं ही नहीं हमारे पास।" अब ये मन-ही-मन शिकायत करती है कि अभी मुझसे पहले जब भाई आया था तो माँ ने तो उसे पूरे सौ रुपये दिए थे और ये कहने के बजाय कि और पैसे नहीं हैं उल्टे उसने उसे ये ले लेना बेटा, ये ले लेना बेटा और ये भी ले लेना बेटा कहा था। मगर वो मम्मी से शिकायत नहीं करती है क्योंकि उसे पता है कि जब भी वह अपनी मम्मी के साथ शॉपिंग करने जाती है तो सबसे ज्यादा महंगे सामान उसीके लिए खरीदे जाते हैं।
अब थोड़ी-सी बात भाई की भी कर लेते हैं। वैसे तो भाई-बहन में प्यार बहुत है लेकिन, जिस घर में भाई-बहन हो वहाँ झगड़े तो हो ही जाते हैं। और जब यहाँ झगड़े होते हैं तो भाई-बहन में भाई-बहन का प्यार नहीं बहन-बहन का प्यार नज़र आने लगता है। भाई किसी लड़की की तरह रूठ जाता है और बात करना छोड़ देता है। कई बार तो बात यहाँ तक पहुँच जाती है कि अगर बहन पीने के लिये पानी दे रही है तो वो उस पानी को फेंककर खुदसे दोबारा पानी ले आता है और पीता है। इस तरह लड़ाई होने पर इनमें बहन-बहन का प्यार बढ़ता ही जाता है।
अब इस घर के चौथे सदस्य यानी पापा की बात कर लेते हैं। हाँ तो पापा को आजकल खुदसे खाना बनाने का शौक चढ़ा हुआ है। कई बार तो घर में खाना बनने के बाद भी वो खाना बनाने चल पड़ते हैं। पर यहाँ पर एक समस्या ये हो जाती है कि पापा को पता नहीं रहता कि रसोईं में कौनसा सामान कहाँ पर रखा हुआ है। इसलिए सामान ढूँढने के लिये वो मम्मी को बुलाते हैं और सामान ढूँढते-ढूँढवाते दोनों में बहस हो जाती है। इसका परिणाम यह निकलता है कि जब तक बहस खत्म होती है तब तक सब्जी जल चुकी होती है। अब तो ऐसा होने लगा है कि पापा जब भी खाना बनाने जाते हैं तो दोनों माँ-बेटी बैठकर यही बात करती हैं कि आज तो फिर से सब्जी जलने वाली है। पापा कभी-कभी बड़े मज़ाकिया भी हो जाते हैं। ऐसे ही एक दिन की बात है जब पहली बार लॉकडाउन हुआ था। तब कोरोना को लेकर बहुत ही ज्यादा डर का माहौल था जबकि उस समय केसेस कम थे। वहीं अब देखा जाये तो जैसे-जैसे केसेस बढ़ते जा रहे हैं, लोगों को पता नहीं क्या होता जा रहा है। लोग बेखौफ होके बिना मास्क लगाये, बिना कोई सावधानी बरते कोरोना को और फैलाने में सहयोग करते जा रहे हैं। अच्छा वापस आते हैं, हम बात कर रहे थे पापा की। तो ऐसे ही लॉकडाउन का समय था और ये लड़की अपने रूम में लेटे हुये मोबाइल चला रही थी। अचानक हंसने वाली इमोजी के साथ पापा का मैसेज आता है, "मोबाइल ध्यान से चलाना बेटी, खराब मत करना, नहीं तो अभी नया मोबाइल भी नहीं मिलेगा।" दाद देनी चाहिए हमें पापा के कॉमिक-टाइमिंग की।
अब सोने पे सुहागा है इस लड़की की एक अमीर पड़ोसन। कहने को तो ये पचास वर्षीय महिला पाँच बार शादी कर चुकी है लेकिन, अभी भी यह बैचलर ही है। बैचलर है, अकेली है इसलिए, इन्होंने अपने घर को चिड़ियाघर बना रखा है। घर में जितने भी जानवर हैं उनमें जो लोगों का ध्यान सबसे ज्यादा अपनी ओर खींचते हैं वो हैं कुत्ते। इसके पीछे दो कारण हैं। एक तो उनका भौंकना और दूसरा उनके नाम। उनके नाम आइंस्टीन, ब्रूनो, न्यूटन और न जाने कितने महान लोगों के ऊपर रखे गये हैं। ब्रूनो तो एक बार चल भी जाता है पर जब वह मोहल्ले में निकलकर आइंस्टीन-आइंस्टीन या न्यूटन-न्यूटन की गुहार लगाती है तो आइंस्टीन और न्यूटन की आत्मा एक बार भले ही उसको माफ कर देती हो लेकिन मोहल्ले वालों का गुस्सा फूट पड़ता है। क्योंकि इसी आइंस्टीन ने उनका जीना हराम कर रखा होता है। किसी पे भी भौंकना, किसी के भी घर में घुस जाना और किचन में घुसकर बर्तन चाट जाना ये सब आइंस्टीन का रोज का काम है। लोग उसे समझा-समझा कर थक चुके हैं कि आइंस्टीन, न्यूटन और अपने बाकी के जानवरों पर नज़र रखे लेकिन उसे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
इस तरह इस लड़की के मोहल्ले में बड़ी विविधताएँ हैं। हाँ गोकुलधाम जितनी नहीं हैं पर ये भी कम हैं क्या ! और सीखने को भी बहुत कुछ है। अगर इस लड़की के चश्मे से देखा जाये तो कितनी ही खुशनुमा चीज़ें हम अपने आसपास में ही देख सकते हैं। मम्मी-पापा और भाई-बहन के नोंक-झोंक में न जाने कितने ही मस्ती भरे पल तलाश सकते हैं। और भूलिए मत आप अपने पालतू कुत्तों के नाम रखना भी सीख सकते हैं।
कोई उदास दिखे तो पुछती उसका हाल |
ReplyDeleteदेती खुशी लेती हर दुख संभाल||
थी नटखट रहती हमेशा खुशहाल |
सभी कहते थे उसको लड़कियों की जेठालाल ||
🙏🏻❤️
Delete