घनघोर सिंगल लड़की

घनघोर सिंगल हूँ। हाँ, यही कहा था उसने। आपने कई बार कई लोगों को अपने आप को सिंगल बताते हुए देखा होगा। लेकिन सिंगल और घनघोर सिंगल होने में फ़र्क़ है। कम से कम इस बात का तो फ़र्क़ है ही कि घनघोर सिंगल में एक रचनात्मकता है, एक क्रिएटिविटी है जो इसे सिंगल से अलग बनाती है। जब आप अपनी बात रखते हैं तो लोग उस पर ध्यान देते हैं और नहीं भी। लेकिन, जब आप अपनी बात रचनात्मक ढंग से रखते हैं तो लोग सिर्फ ध्यान नहीं देते बल्कि वे तो आपसे और भी सुनना चाहते हैं। सुनना भी एक बहुत ही अच्छी आदत है। यकीन मानिए, हर मर्ज की दवा डॉक्टर के पास नहीं होती। कुछ दवाएँ तो हम सुनने वालों के पास भी होती है। इस से फ़र्क़ नहीं पड़ता कि आप किससे बात कर रहे हैं। अगर आप कुछ देर किसी से बात कर लें तो एक अलग ही खुशी मिलती है। दरअसल, यहीं से गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड के कॉन्सेप्ट की शुरुआत होती है। हर किसी को किसी ऐसे की तलाश होती है जिससे वो बातें कर सके। जिससे वो अपने ग़म अपनी खुशियाँ शेयर कर सके। और हो क्यूँ ना ये जमाना ही डेटा का जमाना है। हमारे साइंटिस्ट डेटा को स्टोर करने की जद्दोजहद में नए-नए अविष्कार करने में लगे हुए हैं। ये इंटरनेट का जमाना है। डेटा को स्टोर करना और शेयर करना हमारी जीवनशैली का हिस्सा बन चुका है। ऐसे में अगर कोई अपनी ग़म अपनी खुशियाँ अगर किसी से शेयर करना चाहे तो उसमें क्या बुराई है। उल्टे ऐसे लोग जो अपने आप को व्यस्त बताते हैं उनको आगे आना चाहिये और अपने व्यस्त जीवन से कुछ वक्त निकालकर लोगों से बात करनी चाहिए। लोगों को जानना चाहिए क्योंकि, जानने और समझने की शक्ति ही तो इंसान को इंसान बनाती है। और एक बार किसी को जान कर तो देखिए। जब आप जानना शुरू करेंगे तब आपको समझ आएगा कि आप कितना कम जानते हैं। और अगर आप किसी और को नहीं जानना चाहते हैं तो खुद को जानिए क्योंकि, किसी ने ठीक ही कहा है,
"कुछ खास बात नहीं है मुझमे बस,
मुझे समझने वाले खास होते हैं।"
तो खुद को समझिए, लोगों को समझिए, बातें करिए और इस कोरोना की घड़ी में खुशियाँ फैलाइये। धन्यवाद।

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