सफलता का रहस्य


क्या आपने कभी कोई गलती की है? क्या आपको कभी किसी बात का पछतावा हुआ है? अगर हाँ तो आपने अपनी गलती से क्या सीखा? क्या आपने अपने आप से पूछा कि आपसे गलती क्यों हुई थी? क्या आपने अपने आप को दोबारा उस गलती को करने से रोका? क्या आपने कभी सोचा की गलती करने के बाद आपको क्या करना चाहिए था? इन्ही सवालों के जवाब खुद में समेटे, आपके दिल में प्रेरणा की लौ जलाने के लिये पेश है मेरी यह रचना -

लालच
कोई फर्क नहीं पड़ता
यह छोटी है या बड़ी
क्योंकि
इसका काम वही है
यह पहले उकसाती है
फिर गलती कराती है
और फिर तड़पाती है
और तब तुम्हें लगता है कि
तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था |
यही पछतावा है
पछताना पड़ता है
तड़पना पड़ता है
सुधरना भी पड़ता है
क्योंकि
तुम सुधरोगे तब जग सुधरेगा |
तुम इस बात को भूल जाओ कि
तुमने गलती की
तुम्हारी इज़्ज़त गई
क्योंकि
तुम क्या लेकर आये थे
और क्या लेकर जाओगे?
गलती सुधारी जा सकती है
इज़्ज़त बनाई जा सकती है
ज़रूरत है तो
एक ज़ज्बे की
एक पहल करने की
कुछ कर गुज़रने की
तो चलो कुछ करें, कुछ बनायें
क्योंकि तुम क्या लेकर आये थे
और क्या लेकर जाओगे?
आज जो तुम्हारा है
कल किसी और का था
और कल किसी और का होगा
लेकिन एक चीज़ हमेशा तुम्हारी रहेगी |
क्या?
तुम्हारा नाम और तुम्हारा काम |
तो क्यों न कुछ ऐसा करें
जो कोई और न कर पाए
लेकिन सब करना चाहें
एक नई शुरुआत
आरम्भ!

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